अनुप सुक्ला ने मेरी यह टिप्पनी चिठठा चरचा जैसी सार्वजनिक मन्च से हटा दी। बहुत दुखद है। अब मैं उसे यहाँ पेश कर देता हूँ, जीगर में ताकत है तो यहाँ से मिटा कर दिखाओ।
मेरी टिपनी:
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फिर से चालबाजी| अभी पुरानी पोस्ट पर बात पूरी नहीं हुई और उसे दबाने के लिये नयी पोस्ट ले आये फुरसतिया| लोगों को क्या पागल समझ रखा है| जंग छेड़ी है तो पूरा करो या मरो| ऐसे भाग जाने से अब नहीं बच सकते महोदय| हम सब पिछे पिछे आकर उसे जिन्दा रखेंगे, समझे कि नाही| टिप्पु चाचा और उनके बन्दों से पंगा इतना हल्का नहीं है जेतन आप समझ रहे हैं| आपको जबाब देना ही होगा|
नादां की दोस्ति, जी का जंजाल|
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एक टिप्पनी और मिटाई है वो ऐसी थी:
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एक शुभचिंतक ने आपकी पोस्ट "प्रथम किरण संग ओस घास पर मोती जैसा लगता है" पर एक नई टिप्पणी छोड़ी है:
@ अनूप शुक्ल
मुआफ़ किजियेगा, आपको इस तरह इस सार्वजनिक मंच का दुरुपयोग नही करना चाहिये।
अगर आप इसको सार्वजनिक कहते हैं तो और प्राईवेट लिमिटेड है तो कोई बात ही नही है।
टिप्पू चच्चा कौन है? इससे किसी को कोई फ़र्क नही पडता। सवाल नीयत का है और उसकी
नीयत मे कोई भी खोट कहीं दिखाई नही देती। यह बात मैं मेरे ब्लाग पर आई उसकी टिप्पणी
के बाद उसके ब्लाग पर अधिकतर पोस्ट पढने के बाद कह रहा हूं क्योंकि इससे पहले मैं कभी
उस ब्लाग पर नही गया। और उसके ब्लाग का प्रचार करने का श्रेय भी आपको ही जाता है।
उसने सिर्फ़ और सिर्फ़ कुश की बदतमिजियों पर आपत्ति उठाई है और उसके लिये भी माफ़ी
का प्रावधान रखा है पर कुश ने उसको और भडकाया और आपने आग मे घी डालने का काम
किया। क्या आप इस बात का जवाब देंगे कि सबसे पहले कुश ने उसका क्यों जिक्र किया था?
और जिस तरह से उसकी खिल्ली उडाई गई क्या वो जायज थी? और आप क्यों कुश का
अनावश्यक बचाव कर रहे हैं?
आपके इस कथन पर भी मुझे आपत्ति नही तो आश्चर्य अवश्य है. आपका कहना अफ़सोस
मुझे इस बात का है कि जब कुश को आपके तथाकथित चच्चा ऊलजलूल ढंग से गरियाते हैं तब
अपने ब्लाग जगत के बेहतरीन साथी इस अंदाज की वाहवाही करते हैं।
आप ये बताईये कि यह नौबत आखिर क्युं आई? अपने दिल पर हाथ रखकर बताईये कि यह स्थिति
क्युं आई? कि एक तथाकथित अनाम ब्लागर का समर्थन किया गया और कुश का विरोध किया जारहा है?
क्या जवाब है इसका? आपके और कुश के पास इसका कोई जवाब नही है। कारण शायद निम्न से इतर
नही होने चाहिये।
क्या कुश ने इन्ही बेहतरीन साथियों को जलील नही किया?
क्या कुश ने इन्ही बेहतरीन साथियों के खिलाफ़ उनका बायकाट करने की लामबंदी नही की? कुश से पूछिये
कि उसने कितने लोगों को इन्ही बेहतरीन साथियों का बायकाट करने की मुहीम नही चलाई? वो क्या सोचता
है कि उन बेहतरीन साथियों तक उसकी यह मुहीम नही पहुंचेगी?
क्या कुश को सुर्खाब के पर उगे हैं जो उसके द्वारा बेइज्जत होने के बाद भी वो बेहतरीन साथी कुश के झुंठे समर्थन
में आगे आये?
इस सबके बावजूद भी आप चाहते हैं कि सब आपकी और कुश की हां मे हां मिलाये तो यह आप दोनों का दिवा
स्वपन्न है। देखते रहिये..एक एक कर सब साथी चले जायेंगे।
मेरे कुछ सुझाव : चुंकी आपने बेहतरीन साथी कहा है इस लिये।
टिप्पू चच्चा की मांग गलत नही है कुश को बिना शर्त माफ़ी मांगनी चाहिये. इससे कुश का कद ही बढेगा।
पर मुझे नही लगता कि जिस तरह से कुश का अभी तक का जो रवैया दिख रहा है तो वो माफ़ी मांगेगा,
इस सूरत मे आप वो टिप्पणी हटा लिजिये. जिससे ये माहोल तो शांत हो। और टिप्पू चच्चा की एक जायज
मांग पूरी हो।
टिप्पू चच्चा कौन है क्या है? इससे हमको कुछ मतलब नही होना चाचिये. इस तरह गुमनाम रहकर भी अगर
कोई स्वस्थ रचना कर्म करता है तो किसी को कोई आपत्ति नही होनी चाहिये। अगर वो गलत करेगा तो वो
भुगतेगा। उसके यहां आई टिप्पणियों को देखते हुये उसकी लोकप्रियता के चरम पर है.
आप और कुश ये खेमेबंदी बंद करें और अपना रचना कर्म पुर्ववत करें। आप किसी के विरुद्ध खेमेबंदी करके
सिर्फ़ आपका ही नुक्सान करेंगे। आप और कुश जिससे भी बात करते हैंउन्ही मे से कुछ लोग आपकी सारी पोल
उन बेहतरीन साथियों तक चटकारे लेलेकर तुरंत पहुंचाते हैं।
आप अगर अजय झा को टिप्पू चच्चा समझते हैं तो मुझे आपकी समझ और बुद्धि पर तरस आता है। टिप्पू चच्चा
और अजय झा मे हर बात मे जमीन आसमान का फ़र्क है। और आपको अगर पुलिस की तरह सिर्फ़ आरोप ही
सिद्ध करना है तो करते रहिये। अजय झा को इससे कुछ फ़र्क नही पडता। क्युंकि साफ़ दिख रहा है कि चच्चा
टिप्पू किस स्तर का जहीन आदमी है। चच्चा की बात करने की शैली और लेखन ही बता रहा है कि वो कोई
नया आदमी नही है।
अजय झा को कमाने खाने दिजिये वो अपनी मस्ती मे मस्त ब्लागिंग करता है और वो भी ओरों की तरह
टिप्पू चच्चा की शैली का भक्त है जब्कि चच्चा पूरा घुटा हुआ महादेव है। चच्चा कि रोचक शैली उसको भी
सबकी तरह आक्र्षित करती होगी।
और अगर आपको सिर्फ़ आपका ही रवैया अख्तियार रखना है तो आप और कुश लगे रहिये इसी तरह रोन्र धोने मे।
समय किसी का इंतजार नही करता।
आपसे आशा है कि आप और कुश इस सलाह पर शांतिपूर्वक आत्म मंथन करेंगे।
आप दोनो का शुभचिंतक। यह अनाम कमेंट कर रहा हूं सिर्फ़ आपको दुख नही पहुंचे इसलिये।
मेरा आप दोनों को ही दुख पहुंचाने का कोई इरादा नही है और अगर दुख पहुंचा हो तो मुआफ़ी चाहुंगा।
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बड़ा अजीब सा लगता है अनुप सुक्ला की टिप्पणी इस चिठ्ठा चरचा http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/11/blog-post_03.html पर देख कर.:
भाई अजय कुमार झा ऐसा है कि जितना हमारी समझ है उसके अनुसार यह अनामी-सनामी बहुत दिन तक चलता नहीं। कितने मुखौटे लगाये जायेंगे। पता नहीं कौन खुंदक में न जाने कब से कुश को गरियाये जा रहे हो। सच में बताओ क्या इस तरह मुखौटा लगाकर कुश को गरियाना बड़ी वीरता का काम है?
ये बात कौन कह रहा है?
क्या आपके पास हक है अनामियों के खिलाफ कहने का?
कभी अपने घर में झाका है क्या? हिन्दनी, एक अनामी का बनाया घर-ई स्वामी, न पता, न ठिकाना और न तस्वीर और उसकी पनाह में पलते आप फुरसतिया खोले बैठे हैं। उसकी बात यो घूंघट गिराई, बाकी जगता मूह दिखाई। ब्लॉग बन्द होता है तो लगते हैं उस अनामी का मूंह ताकने -आप किस मूंह से अनामी जादा दिन नहीं चल पाता कह रहे हैं। इतने साल से तो चल रहा है। अगर न चलता तो आप उसके बन्द होते ही बन्द हो गये होते। लेकिन न वो बन्द हुआ और न आप। मुझे ई स्वामी से कोई शिकायत नहीं और न ही किसी अनामी से। मगर आप जैसे दोगले से है जो खुद के दूसरे और दूसरे के लिये अलग नियम बनाता हौ।
आपका अनामी तो एक बड़े साहित्यकार नामवर सिंह को गरीया गया। जरा भी गैरत होती और अनामी न पसंद होता तो सिर्फ पोस्ट टिपानी लिख कर हाथ पर हाथ धरे न बैठे होते अपने दांत दिखाते, हें हें करते। यहाँ से अपना ब्लॉग उठाते और कहीं फ्री फंड में ब्लॉगस्पाट पर फिर खोल लेते। न यहाँ पैसे लगते हैं और न वहाँ मगर कम से कम आपकी गैरत बरकरार रहती। न आपके दिखाने के दांत और है और खाने के और, यह बात जग जाहिर हो चुकी है।और मुझे जो कहना है, मैं कहता रहूँगा समय समय पर।आप मिटाओ, पोछों चिठ्ठाचरचा पर।वो आप की बपौति है, आप जानो।आपकी कलई खुल चुकी है, अब रफू का इन्तजाम करो ताकी एक ठंड तो और कट ही जाये।
आपने तो अनूप शुक्ला की पूरी कलई खोल दी, राजेश जी.
ReplyDeleteआज मेरे तो मन से उतर गये वो. कभी सोचा था कि कितने बड़े ब्लागर हैं.
ReplyDeleteआदमी की सच्चाई सामने आ जाती है. कितनी गन्दी बात है.
ReplyDeleteअनूप शुक्ला दूसरों की मौज के नाम पर खिल्ली उड़ाने का मौका खोजते रहते हैं लेकिन जब बात खुद के ऊपर आती है तो रुदाली बनकर चिट्ठाकारों के सामने स्यापा शुरू कर दते हैं।
ReplyDeleteजोकर पहले अपने ऊपर बेढंगी टोपी रखता है, तब दूसरों की मौज लेता है, दूसरों की मौज लेने से पहले खुद के ऊपर भी हंसी सहने की ताकत होनी चाहिये
अनूप शुक्ला को मौज के नाम पर दूसरों की खिल्ली उड़ाना बन्द करना चाहिये
राजेश,
ReplyDeleteएक चिट्ठाकार होने के बतौर लिख रहा हूं - अनाम और छद्मनाम में भेद करना सीखो. मेरे छद्मनाम, मात्र ट्रॉल करने के लिये प्रयोग किए गए अनाम, और आपके असली नाम पर भी गूगल कर देखियेगा, संख्या और उल्लेख से ही दिख जाएगा कि फ़र्क क्या होता है.
बाकी आपने अपने विचार रख दिये हैं. मुद्दों के आधार पर चिट्ठाकार हमेशा खुल कर भिडे हैं और भिडते रहे हैं, पहले दिन से! इसका प्रभाव किसी और बात पर नही आने दिया जाता बल्कि वे सबक लेते हैं, और एकजुट हो कर काम करते हैं. गिद्ध-चिंतन करने वालों के लिये ये एक दु:खद खबर हो सकती है. मेरा लेखन तो निखरा ही गुरुदेव के मार्गदर्शन मे है - वे एक "अनामी" पर भी इतने स्नेह बरसा पाते हैं. ये बात आप जैसे नही समझेंगे.
आपने नामवर मुद्दे पर भी लिखा है - ये पढा आपने -
http://baithak.hindyugm.com/2009/11/interview-with-vibhuti-narayan-rai.html
अंतत: श्रीमान राय ने अपनी स्थिती स्पष्ट की है. हम तक बात आ गई - काफ़ी है.
नोट करें कि हिन्दी-युग्म, जिस साईट पर दस हजार हिट्स पडती हैं वहां पर मात्र एक टिप्पणी अप्रूव की गई है इस पोस्ट पे - ये उनका हक है. कोई शोर हुआ मेरी तरफ़ से?
मुद्दे की बात ये कि उन्होने अपने तईं एक फ़र्क पैदा किया है. और एक सेतू का काम किया है यह एक सकारात्मक पहल है. - वे जानते हैं कि आपकी तरह हमारे पास भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. हम जानते हैं उसका प्रयोग किस मुद्दे पर कैसे करना है. आप इस बारे मे सुनिश्चित हैं क्या?
http://hindini.com/eswami
@ ई स्वामी
ReplyDeleteतो आप टिप्पू चच्चा को अनाम मानेंगे या छ्द्म नाम, ये भी बता दिजिये?
हम भी मुद्दे की ही बात कर रहे हैं, व्यक्तिगत करते, तो वो बात करने कायक ही नही है।
मैं यहां एक पोस्ट बना कर बैठा रह गया और आपने पोस्ट छाप भी दी :-(
ReplyDeleteचलिए कोई तो मिला साथी :-)
सबसे पहले तो मैं आपको धन्यवाद देता हूं कि इस चांडाल चौकडी के खिलाफ़ आपने लिखने का साहस किया।
ReplyDeleteइन्होने यह चिठ्ठा चर्चा लोगों को बेइज्जत करने के लिये ही बनाई है. आपने बबली मामले मे देखा होगा कि कुश ने किस तरह से एक महिला ब्लागर को सरे आम बेइज्जत किया और यही फ़ुरसतिया जी ठी..ठी..करके दांत दिखाते रहे। और कुश लोगों की वाहवाही लूटता रहा।
उसी मामले में तथाकथित बेहतरीन साथी (बकौल फ़ुरसतिया) को सरे आम नंगा किया गया। जो जग जाहिर है और उसके बाद उनका बहिष्कार किया गया। खेमेबंदी की गई. येही कुश और और मुश ने इन्हीं बेहतरीन साथियों के खिलाफ़ लामबंदी की और लोगों को भडकाया कि इन लोगों के ब्लाग पर जावोगे तो हम तुम्हारे यहां नही आयेंगे और तुम्हारा बायकाट कर देंगे. इतने घिनौने लोग हैं ये।
टिप्पू चच्चा के आगमन तक इन्होने जमकर उत्पात मचाया..जिसको मारा उसको मारा जिसको छोदा उसको छोडा।
गलती से इस कुश ने टिप्पू चच्चा की इज्जत पर हाथ डाल दिया और यहीं से इन्होने वो गलती करदी जो नही करनी चाहिये थी.
इसने चचा को चूहा समझा था और चच्चा निकल गया शेर। और इनको इनकी औकात याद दिलादी।
चच्चा ने अपने खिलाफ़ टिप्पणी हटाने की बात की तो फ़ुरसतिया ने नाराज होकर जंग छेड दी और उसके चेले को नाजायज तरीके अपनाते हुये बचाव करने लगा।
और कल कुश के खिलाफ़ यानि आईना दिखाती टिप्पणीयां आई तो उनको तुरंत मिटा दिया।
पर आप जानते हैं कि फ़ोलोअप मे यह टिप्पणीयां सबके पास जाती हैं और फ़ुअरसतिया का यह कृत्य देखकर सब कल से थू थू कर रहे हैं।
पता नही किस एजेंडा के तहत फ़ुरसतिया ये सब कर रहे हैं. कुश ने गलती की है तो बात को खींच कर उसको बढा क्युं रहे हैं? फ़ैसला करो ना।
टिप्पू चच्चा को भी ये ही भडकाते हैं ताकि इनको प्रचार मिलता रहे वर्ना तो ये खुद आऊट डेटेड हो चुके हैं।
अभी फ़िर आता हूं लौट कर...........
राजेश जी पहले तो आप बधाई स्वीकार करिए कि आपने पोस्ट लिखी ...नहीं तो मै तो बहुत सूना था कि लोग आपको बोलते है कि
ReplyDelete@ राजेश स्वार्थी
प्रोफाइल बनायी थी तो एकाध पोस्ट भी लिख लेते
राजेश जी पहले तो आप बधाई स्वीकार करिए कि आपने पोस्ट लिखी ...नहीं तो मै तो बहुत सूना था कि लोग आपको बोलते है कि
ReplyDelete@ राजेश स्वार्थी
प्रोफाइल बनायी थी तो एकाध पोस्ट भी लिख लेते
वाह राजेश जी बधाई हो. हमको तो अभी मालूम पडा कि आपकी यह पहली पोस्ट है। बहुत बधाई।
ReplyDeleteराजेश,
ReplyDeleteसंदर्भ विशेष में मेरा उल्लेख अवांछनीय था, उतने मात्र पर ही आपको संबोधन किया. शेष इति!
स्वार्थी जी फुरसतिया के खेमे में उसके सभी चेले उसके जैसे ही है सबको फ़ोन से भड़काता है
ReplyDeleteफुरसतिया का ये हाल है...तुम करो तो भगडा
ReplyDeleteहम करे तो लफडा
फुरसतिया का ये हाल है...तुम करो तो भगडा
ReplyDeleteहम करे तो लफडा
मेरे हिसाब से तो अब हम सबको मिलकर जे सी ...शास्त्री जी को याद करना चाहिए और कहना चाहिए आप पांच खोज रहे थे जो ब्लॉग जगत में गन्दगी किये बैठे है यहाँ खेमे में १५ मिल जायेगे आप ५ छत लो
ReplyDeleteजिंदाबाद जिंदाबाद
टिप्पू चच्चा , राजेश स्वार्थी .जिंदाबाद जिंदाबाद
शास्त्री जी की उस पोस्ट का लिंक ये रहा
ReplyDeleteआपको धन्यवाद राजेश स्वार्थी जी. अभी मैं एक खबर देता हूं।
ReplyDeleteकुश और फ़ुरसतिया कंपनी ने एक और साजिश शुरु करदी है. और लामबंदी शुरु करदी है कि लोगो को भडका रहे हैं कि चच्चा के यहां जाकर do not publish my comment मे रजिस्ट्री करवाईये।
ReplyDeleteटिप्पू चच्चा के पीछे कल दिन भर एक लगी रही. अगली टिप्पणी मे अगली खबर।
आज चच्चा के पास एक और का उसको फ़ोलो नही करने का मेल आगया।
ReplyDeleteऔर चच्चा ने इस लिये टिप्पणी करी थी कि वो यह देखना चाहते हैं कि कुश - मुश के समर्थन मे आखिर कौन कौन आगे आते हैं? और चच्चा इसमे सफ़ल रहे हैं। चच्चा को पता लग रहा है कि इस बदनाम कंपनी को कौन कौन सपोर्ट करके यह गंदगी फ़ैला रहा है.
ReplyDeleteअब चचा के पास जिस जिस ने भी उनकी टिप्पणी और पोस्ट शामिल नही करने की टिप्पणि की है। चच्चा उन सबकी पोल खोलेंगे।
ReplyDeleteयह भी पता चल चुका है कि कुश और फ़ुरसतिया ने इन ब्लागरों को धमकाया है कि अगर उन्होने ऐसा नही किया तो चिठ्ठा चर्चा पर उनका चर्चा नही करेंगे और उनका बायकाट करेंगे। इस्लिये डर कर उन लोगों ने चच्चा से निवेदन किया है.
ReplyDeleteआजकल मे चच्चा कोई जोरदार धमाका कर सकते हैं। इंतजार किजिये।
ReplyDeleteवाह चच्चा टिप्पू सिंह जिंदाबाद।
ReplyDeleteअगली खबर यह है कि एक ब्लागर ने यह टिप्पणी की है कि उसने कुश के दवाब मे आकर टिप्पू चच्चा को मना किया था। और क्षमा मांग ली है।
अगली खबर : टिप्पू चच्चा ने इसीलिये मोडरेशन लगा दिया है ताकि इन निरिह ब्लागरों की पोजीशन खराब ना हो और वो बेधडक च्च्चा तक अपनी बात पहुंचा सकें।
ReplyDeleteवहां मोडरेशन लगा है..अगर आप पर भी कुश और फ़ुरसतिया का दवाब आये तो आप जो भी कहना चाहे चच्चा को कहें..आपकी इस विषय मे कोई टिप्पणी प्रकाशित नही की जायेगी।
to yahaan ye chal rahaa hai
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDeletezaaree rakhiye