Tuesday, November 10, 2009

चिठठाचरचा को बधाइ और अनुप सुक्ला, इसका जबाब दे देना तब बधाइ लेना

चिठ्ठाचरचा पर १० सौ पोस्ट की बधाई के साथ बस एक प्रशन, अगर इस हजारे का खुमार उतर गया हो|

आपने मेरी टिप्पनी हटाई थी कि वो व्यक्तिगत नाम लेकर आप पर और आपके चेले कुश पर आछेप थी|

उस दिन से टिप्पनी बक्स के उपर नया वाक्य लिखा दिया गया-

चिट्ठा चर्चा हिन्दी चिट्ठामंडल का अपना मंच है। कृपया अपनी प्रतिक्रिया देते समय इसका मान रखें। असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी।

तो यह टिप्पनी आज तक वहां किसे मूंह चिड़ा रही है-


http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/11/blog-post_05.html


तीखी बात on November 06, 2009 6:35 PM ने कहा…

तो बबली को महादेवी वर्मा की छटी औलाद ,,अलबेला खत्री जॉनी वाकर की पांचवी, उड़नतश्तरी को प्रेमचंद के असली वारिस ,ताऊ उर्फ़ ब्लोगवकील उर्फ़ उर्फ़ उर्फ़ को सबसे बड़ा ब्लोगर ,अजय झा उर्फ़ चाचा टिप्पू सिंह को दूसरे सबसे बड़े ब्लोगर उर्फ़ ब्लॉग श्री घोषित कर इस लडाई का अंत किया जाए बाकी चार पांच पदवी ओर पड़ी है उनके मिश्रा या ओर भी कई चेले है वे आपस में अपनी अपनी सुविधा अनुसार बांट ले .
वे भी खुश रहेगे ओर इधर झान्केगे भी नहीं



-इसे या तो बदल कर -अनुप सुकला, विवेक और कुश के खिलाफ असभ्य भाषा व व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली टिप्पणियाँ हटा दी जायेंगी- ऐसा कर लेना चाहिये या तो इस टिप्पनी को हटाना चाहिये|

अभी तो इतना काफी है| आप जबाब देंगे नहीं और मैं पुचना छोड़ूंगा नहीं|

दोमूंही नीति है?

7 comments:

  1. तीखी बात की यह टीप असभ्य भाषा और व्यक्तिगत आक्षेप करने वाली है। इस तरह की टीप का चिट्ठाचर्चा में उपस्थित होना चिट्ठाचर्चा में भाग लेने वाले समस्त चिट्ठाकारों की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है।

    क्या चिट्ठाचर्चा में शामिल सभी चिट्ठाकार सहमत हैं कि एसी टीप चिट्ठाचर्चा में रहनी चाहिये?

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  2. बात तो आपकी सही है व्यक्तिगत आक्षेप तो इस टिप्पणी में भी है और ये टिप्पणी भी हटा लेने लायक है |

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  3. चलने दीजिये बढिया है....

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  4. राजेश जी मुझे याद आया जब मेरी कविता चोरी हुई थी आपकी टिप्पणी आई थी तब मैं आपका ब्लॉग ढूँढने गई पर वहाँ कुछ नहीं मिला ....शायद आपने अब शुरू किया ......!!

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  5. लोगो को जो चाहे करने दीजिये, क्यों परेशान होते हैं.

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असभ्य भाषा की टिप्पनियां मिटा दी जायेंगी। अपनी बात भाषा की मर्यादा में रह कर करें।